मुंबई: आगामी स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है। इन चुनावों में महायुति के भीतर तालमेल को प्राथमिकता दी जाएगी। जिलावार निर्णय की जिम्मेदारी स्थानीय पदाधिकारियों को दी गई है, लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सभी नेताओं को निर्देश दिए हैं कि “हम महायुति का हिस्सा हैं, यह मत भूलिए। मित्र पक्षों के खिलाफ नाराजी हो सकती है, लेकिन टकराव टालिए।
मुंबई में आयोजित भाजपा की विभागीय बैठक में फडणवीस और प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने पदाधिकारियों के साथ चर्चा की। फडणवीस ने कहा कि “चुनाव स्थानीय परिस्थितियों को देखकर लड़ें, परंतु महायुति की भावना कायम रखें।”

उन्होंने संगठन विस्तार पर भी जोर दिया। फडणवीस ने कहा, “नए लोगों को संगठन में शामिल करें, उन्हें स्वीकारें और संगठन को और मजबूत बनाएं।” उन्होंने यह भी कहा कि “संघर्ष आवश्यक है, लेकिन वह मर्यादित हो।”
ठाणे और नवी मुंबई में शिंदे गुट और भाजपा के बीच हाल ही में हुए मतभेदों के बाद फडणवीस का यह संदेश विशेष महत्व रखता है। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि संघर्ष अगर हो, तो वह गठबंधन की मर्यादाओं में रहकर होना चाहिए।
दूसरी ओर, भाजपा, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार गुट की राकांपा, कांग्रेस — इन सभी दलों ने स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनावों की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। कुछ जिलों में कार्यकर्ताओं की “स्वतंत्र रूप से लड़ने” की मांग जरूर उठी है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व महायुति के तहत ही चुनाव लड़ने के पक्ष में है।
राज्यभर में फडणवीस और रविंद्र चव्हाण की बैठकों के जरिए भाजपा ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि जिला स्तर पर निर्णय का अधिकार स्थानीय नेताओं को रहेगा, परंतु चुनाव महायुति की चौकट में ही लड़े जाएंगे।