वीर सिंह :
यवतमाल: किसानों की बैंक मानी जाने वाली जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ियों और अनियमितताओं का आरोप सामने आया है। यवतमाल के विधायक बालासाहेब मांगुलकर ने बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि बैंक में पदों की भर्ती, कर्ज वितरण और कर्ज वसूली के मामलों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। इन घोटालों की वजह से बैंक पर लगभग 196.65 करोड़ रुपये का अपहार किया गया है। इसके अलावा, बैंक का एनपीए 77 प्रतिशत तक पहुँच गया है, जिसके चलते आरबीआई ने 15 करोड़ का जुर्माना लगाया है और नाबार्ड की रिपोर्ट में भी गंभीर अनियमितताएँ दर्ज की गई हैं।
बैंक आर्थिक संकट में होने के बावजूद 133 पदों पर भर्ती की अनुमति कैसे मिली, इस पर भी मांगुलकर ने सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता न रखते हुए एक ही एजेंसी को बार-बार काम दिया गया और उम्मीदवारों से पैसे लेकर भर्ती की गई। यहाँ तक कि आयु सीमा में हेरफेर कर गलत तरीके से चयन भी किया गया।
मांगुलकर ने यह भी कहा कि यह बैंक जिले के हजारों किसान पतसंस्थाओं और खातेदारों का आर्थिक आधारस्तंभ है, लेकिन यहाँ बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी और भ्रष्टाचार हुआ है। आरबीआई, नाबार्ड और सहकार विभाग की देखरेख के बावजूद यह गड़बड़ी होना गंभीर सवाल खड़े करता है।
उन्होंने माँग की कि—
• बैंक में चल रही भर्ती प्रक्रिया को तत्काल रोककर विज्ञापन रद्द किया जाए।
• नाबार्ड या किसी निष्पक्ष जांच समिति के माध्यम से 196 करोड़ रुपये के घोटाले की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
• इसमें शामिल बेईमान अधिकारियों और संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
• भविष्य की भर्तियाँ केवल खुली और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया से ही की जाएँ।
मांगुलकर ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि किसानों, खातेदारों और सहकारी क्षेत्र की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए है।
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